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Hear from our happy faces

यह दिलखुश नामक बालक मात्रा 7 माह की उम्र में अपनी माँ की गोद में लखीसराय से बेगुसराय की ओर टाटा 407 पैंसेजन वाहन से यात्रा कर रहा था तभी अचानक रास्ते में उस गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया और यह बालक माँ की गोद से छिटक कर दूर जा गिरा। इस दरम्यान खिड़की के शीशे से या तेज धर वाले एंगल से बायाँ पैर कट कर न जाने कहाँ खो गया और दाएँ पैर की चार अंगुलियाँ भी कट गयी। ऑर्थो सर्जन डॉक्टर ने कटा हुआ पैर माँगा। दिलखुश की माँ और परिवार के लोग बहुत कोशिश किए लेकिन कटा हुआ पैर नहीं मिला। यह बालक उस समय से 07 अगस्त 2021 अर्थात् 18 वर्ष की आयु तक एक पैर से डंडे के सहारे उछल-उछल कर अपना जिंदगी काटता रहा। दिलखुश को दोनों पैर से चलना क्या होता है उसे पता नहीं। परन्तु भारत विकास विकलांग अस्पताल के द्वारा उस बच्चे को कृत्रिम पैर लगाकर उसे दोनों पैरों पर चलना सिखाया।

दिलखुश की माँ कहती हैं - जब वह दोनों पैरों से चला तो उसके चेहरे की मुस्कान देखने लायक थी। यह सभी काम भारत विकास परिषद् के अधिकारियों की मेहनत और लगन का परिणाम है। हम लखीसरायवासी दिल से ऋणी हैं और आजन्म ऋणी रहेंगे। आप मुझसे जो भी काम करवा लें लेकिन यह एहसान मैं नहीं उतार पाऊँगी। मैं आभारी हूँ आादणीय निर्मल जैन जी का, डॉक्टर प्रवीण भैया जी का, परम आदरणीय पद्मश्री बिमल जैन भाई साहब का, विवेक भैया, अशोक जी, राकेश जी, चाँद झुनझुनवाला का। सबसे बड़ी बात है कि हमारे सोच से कहीं आगे रफ़्तार से काम करने के लिए संकल्पित मेरे वरिष्ठ अधिकारी जिला इकाई लखीसराय के अध्यक्ष श्रीमान् पुरूषोत्तम जी का।

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